दोस्तों, हम अक्सर आंतरिक शांति के लिए धार्मिक स्थलों की तरफ रुख करते है. धार्मिक स्थल न केवल आस्था के प्रतीक होते है किंतु यह हमारे भीतर एक positive ऊर्जा भी भरते है. आज मैं आपको एक ऐसे मंदिर से अवगत करा रहा हुं जिसके बारे मे बहुत ही कम लोग जानते- लगभग न के बराबर। इसका एक कारण यह भी है की यह अत्यधिक दुर्गम ओर पर्वर्तीय क्षेत्र से घिरा हुआ है और यहाँ जाने के लिए पैदल ही यात्रा करनी पड़ती है क्यों की सड़क कुछ 8-10 किलोमीटर पीछे ही ख़तम हो जाती है.
मैं आपके साथ इस मंदिर की कुछ शानदार pictures share करूँगा और कुछ जरूरी जानकारी भी साझा करना चाहता हु तो आइये बढ़ते है इस interesting पोस्ट की और!
सच कहूं तो यह मंदिर एक छुपे हुए खज़ाने की तरह है जिसके प्राप्ति से मनुष्य एक अलौकिक दुनिया मे चला जाता है. मैं स्वयं इस मंदिर के दर्शन कर चुका हूँ और इसके अलौकिक नजारों को आज भी मन मे समाये हुआ हु. मै आज भी उन मन मोह लेने वाले पर्वत श्रृंखलाओं और झरनों को याद करता हु जो मैंने अपनी इस यात्रा के दौरान देखे थे.
बताना चाहूंगा मै ग्राम कुनेथ से मरोरा होते हुए जंगल के रास्ते बिन्देश्वर महादेव के दर्शनों के लिए गया था.
मैं आपके साथ इस मंदिर की कुछ शानदार pictures share करूँगा और कुछ जरूरी जानकारी भी साझा करना चाहता हु तो आइये बढ़ते है इस interesting पोस्ट की और!
सच कहूं तो यह मंदिर एक छुपे हुए खज़ाने की तरह है जिसके प्राप्ति से मनुष्य एक अलौकिक दुनिया मे चला जाता है. मैं स्वयं इस मंदिर के दर्शन कर चुका हूँ और इसके अलौकिक नजारों को आज भी मन मे समाये हुआ हु. मै आज भी उन मन मोह लेने वाले पर्वत श्रृंखलाओं और झरनों को याद करता हु जो मैंने अपनी इस यात्रा के दौरान देखे थे.
बताना चाहूंगा मै ग्राम कुनेथ से मरोरा होते हुए जंगल के रास्ते बिन्देश्वर महादेव के दर्शनों के लिए गया था.
Note: Yeh Binsar Mahadev Ka Mandir nahi hai kinto Yeh bhi Thalisain Block ka ek Mukhya Mandir hai.
बिंदेश्वर महादेव Bindeshwar Mahadev एवं बिनसर महादेव (Binsar Devta) उत्तराखंड राज्य (Uttarkhand) के पौड़ी जिले (District Pauri) मे स्थित एक प्राचीन मंदिर है. ये ब्लॉक थलीसैण Thalisain के चौथान क्षेत्र मे आता है है. देवदार, बांज, बुरांस,एवं सुरई के घनघोर जंगल मई बसा हुआ यह मंदिर समुद्र तल से ८१६९ (8169) फ़ीट की ऊचाई पर है.
कहां जाता है बिनसर महादेव (Binsar Devta or Binsar Mahadev) भगवान शिव का ही एक अन्य रूप है. मंदिर में स्थापित की गई मुख्य प्रतिमा बिना सिर के है इसलिए मंदिर का नाम बिनसर रखा गया है.
इसके अलावा मंदिर में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, शिव परिवार, हनुमान अथवा अन्य कई मूर्तियां स्थापित की गई है.
बाहरी परिसर की बात करें तो यहां पर एक विशाल नंदी बैल की स्थापना की गई है यह मंदिर के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने है.
मंदिर परिसर में रखे गए नंदी बैल की भी कहानी लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है, ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान बिनसर महादेव ने नंदी बैल को मंदिर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी थी किंतु नंदी भोजन की तलाश में गांव नजदीक के एक गांव चला गए और खेतों में घास चरने गए जोकि पटवाल जाति के लोगों थे यह देख कर वह लोग बहुत आग बबूला हो गए और नंदी बैल को मारने लगे जिससे उसकी एक टांग टूट गई. किंतु बाद में लोग अपनी गलती पर पछताए और क्षमा मांगने बिनसर महादेव दे गए गए.
उन्होंने वहां पर नंदी बैल की मूर्ति स्थापित की गई जो आज भी पटवाल जाति के लोगों द्वारा पूजी जाती है. दोस्तों कहानी कुछ भी हो लेकिन यह सत्य है कि आज यह मूर्ति मंदिर का अभिन्न अंग है.
पानी के नेचुरल स्रोत Natural Sources of Water at Temple
शायद आपको यह जानकर थोड़ा आश्चर्य हो सकता है कि मंदिर में आज भी पानी के नेचुरल स्रोत हैं. मंदिर के दाहिने भाग में तीन कुंड के आकार में पत्थर हैं जिनमें से निरंतर निर्मल धारा बहती रहती है. मंदिर की उत्पत्ति की ही तरह इस पानी के स्त्रोत के बारे में जानकारी देना थोड़ा कठिन है, अक्सर लोग बिनसर भगवान के दर्शन से पहले इस पानी में स्नान करके भीतर जाते हैं. दोस्तों यह पानी मंदिर में भोजन बनाने अथवा छोटे मोटे कामों में प्रयोग लाया जाता है.
दोस्तों जैसे की मैं पहले भी बता चूका हूँ की यात्रा थोड़ी दुर्गम है इसलिए आपको सलाह दूंगा की आप एडवांस मे इसकी तैयारी कर ले यदि आप किसी सिटी से यहाँ आ रहे तो गरम कपड़े साथ में ज़रूर रखे क्यों की यहाँ का मौसम काफी ठंडा होता कई बार आपको ग्रीष्म ऋतु में भी जैकेट, शाल अन्य गर्म कपड़ों की जरुरत पड़ सकती है.
रही बात ठहरने की तो बता दो मंदिर के प्रांगण में कुछ दो चार कमरे है. यदि आप दूर से यात्रा करने आ रहे है तो आप अपनी यात्रा एक पड़ाव थलीसैण में बिता सकते है वहां aapko होटल एंड लॉज की सुविधा आसनी से मिल जाएगी.
Thalisain से आप पहले Peethsain जाना है वहां से आपको लगभग 8 किलोमीटर की चढ़ाई काट करके मंदिर के दर्शन को जाना होगा.
मंदिर तक पहुंचने के कई तरीके हैं; हालांकि, दो मार्ग सबसे अधिक use किये जाते है। (एनएच 121) से पीठसेन (2260 मीटर) तक एक अच्छा रास्ता है । पीठसेन से 11 किलोमीटर लम्बी लेकिन सौम्य ट्रेक है। दूसरा रास्ता जगत्पुरी-चाउंड-बिन्सर है, जो लगभग 6 किलोमीटर की एक तेज, ऊर्ध्वाधर ट्रेक है। जगतपुरी एक सड़क के किनारे का बाजार है.
एक बार binsar बाबा के दर्शन को जरूर जाएँ और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें यदि आपको कोई भी अतिरिक्त जानकारी चाहिए अथवा कोई सुझाव देना चाहते है तो तू नीचे दिए कमेंट बॉक्स दे सकते है धन्यवाद्......
बिंदेश्वर महादेव Bindeshwar Mahadev एवं बिनसर महादेव (Binsar Devta) उत्तराखंड राज्य (Uttarkhand) के पौड़ी जिले (District Pauri) मे स्थित एक प्राचीन मंदिर है. ये ब्लॉक थलीसैण Thalisain के चौथान क्षेत्र मे आता है है. देवदार, बांज, बुरांस,एवं सुरई के घनघोर जंगल मई बसा हुआ यह मंदिर समुद्र तल से ८१६९ (8169) फ़ीट की ऊचाई पर है.
History of Bindeshwar (Binsar Mahadev)| Binsar Mahadev Ka Itihas
यह मंदिर इतना प्राचीन है की इसकी स्थापना के बारे मे भी सही से कुछ नहीं कहा जाता है. यहाँ तक की आस पास के लोग भी इस मंदिर की उत्पति अथवा स्थापना के बारे मे मतभेद रखते है. अक्सर लोग कहते है की इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञात काल के समय एक ही रात मे किया था.
यदि हम लोक-कथाओं folk-lores की बात माने तो यह मंदिर राजा पृथिवि ने आपने पिता राजा बिंदु की याद मे बनवाया था किंतु इस बात का भी कोई साक्ष्य नहीं है. न जाने कितने दफा पुरातत्व विभाग(ASI) की टीम यहाँ आ कर खोज कर चुकी है लेकिन वह भी इस बात का पता नहीं लगा सके की आखिर यह मंदिर किसने बनाया।
खैर मंदिर जिसने भी बनाया हो लेकिन यह स्थल आस पास के इलाके में सर्वश्रेष्ठ पूजनीय स्थल है. कहते है जो इस मंदिर मे सच्चे मन कुछ भी माँगे उस भगत की मनोकामना ज़रुर पूर्ण होती है-यह सिर्फ कहने की ही बात नहीं है कई लोग इस बात को मान चुके है और एक राज की बात बताओ मैं भी उसमे से एक हु!
मंदिर के आस-पास बहुत सारी मूर्तियां, पौराणिक चिन्ह अथवा विशाल मात्रा में शिवलिंग हैं. यदि हम इसके मुख्य मंदिर की बात करें तो हम पाएंगे यहाँ कई देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई जिनमें से मुख्य बिनसर महादेव हैं.
कहां जाता है बिनसर महादेव (Binsar Devta or Binsar Mahadev) भगवान शिव का ही एक अन्य रूप है. मंदिर में स्थापित की गई मुख्य प्रतिमा बिना सिर के है इसलिए मंदिर का नाम बिनसर रखा गया है.
इसके अलावा मंदिर में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, शिव परिवार, हनुमान अथवा अन्य कई मूर्तियां स्थापित की गई है.
बाहरी परिसर की बात करें तो यहां पर एक विशाल नंदी बैल की स्थापना की गई है यह मंदिर के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने है.
Mandir Ki Tuti Hui Murthiyon ki Kahani
मंदिर में आस पास कई पत्थरों की मूर्तियां जिनमे कुछ टूटी हुई है, जब मैंने मंदिर के पुजारी इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने बताया की यह नेपाल के राजा के गढ़वाल आक्रमण के दौरान हुआ था. न जाने लोगों के हाथ आस्था का खून करते समय कांपते क्यों नहीं!Nandi Bail Ki Kahani
मंदिर परिसर में रखे गए नंदी बैल की भी कहानी लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है, ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान बिनसर महादेव ने नंदी बैल को मंदिर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी थी किंतु नंदी भोजन की तलाश में गांव नजदीक के एक गांव चला गए और खेतों में घास चरने गए जोकि पटवाल जाति के लोगों थे यह देख कर वह लोग बहुत आग बबूला हो गए और नंदी बैल को मारने लगे जिससे उसकी एक टांग टूट गई. किंतु बाद में लोग अपनी गलती पर पछताए और क्षमा मांगने बिनसर महादेव दे गए गए.
उन्होंने वहां पर नंदी बैल की मूर्ति स्थापित की गई जो आज भी पटवाल जाति के लोगों द्वारा पूजी जाती है. दोस्तों कहानी कुछ भी हो लेकिन यह सत्य है कि आज यह मूर्ति मंदिर का अभिन्न अंग है.
पानी के नेचुरल स्रोत Natural Sources of Water at Temple
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शायद आपको यह जानकर थोड़ा आश्चर्य हो सकता है कि मंदिर में आज भी पानी के नेचुरल स्रोत हैं. मंदिर के दाहिने भाग में तीन कुंड के आकार में पत्थर हैं जिनमें से निरंतर निर्मल धारा बहती रहती है. मंदिर की उत्पत्ति की ही तरह इस पानी के स्त्रोत के बारे में जानकारी देना थोड़ा कठिन है, अक्सर लोग बिनसर भगवान के दर्शन से पहले इस पानी में स्नान करके भीतर जाते हैं. दोस्तों यह पानी मंदिर में भोजन बनाने अथवा छोटे मोटे कामों में प्रयोग लाया जाता है.
Brahm Dhungi Binsar Mahadev
यह एक काले रंग का विशाल पत्थर है जोकि मंदिर से आधे घंटे की दूरी पर पहाड़ पर स्थित है माना जाता है यह पत्थर भीम द्वारा मंदिर के अन्य भाग के निर्माण के लिए लाया जा रहा है किंतु रात खुल जाने के कारण उन्हें यह पत्थर वहीं छोड़ना पड़ा, अज्ञात वास के दौरान पांडवों को दिन में बाहर जाने की आज्ञा नहीं होती थी.Binsar Devta Mandir Mai Thaharne ki Suvidha
दोस्तों जैसे की मैं पहले भी बता चूका हूँ की यात्रा थोड़ी दुर्गम है इसलिए आपको सलाह दूंगा की आप एडवांस मे इसकी तैयारी कर ले यदि आप किसी सिटी से यहाँ आ रहे तो गरम कपड़े साथ में ज़रूर रखे क्यों की यहाँ का मौसम काफी ठंडा होता कई बार आपको ग्रीष्म ऋतु में भी जैकेट, शाल अन्य गर्म कपड़ों की जरुरत पड़ सकती है.
रही बात ठहरने की तो बता दो मंदिर के प्रांगण में कुछ दो चार कमरे है. यदि आप दूर से यात्रा करने आ रहे है तो आप अपनी यात्रा एक पड़ाव थलीसैण में बिता सकते है वहां aapko होटल एंड लॉज की सुविधा आसनी से मिल जाएगी.
Thalisain से आप पहले Peethsain जाना है वहां से आपको लगभग 8 किलोमीटर की चढ़ाई काट करके मंदिर के दर्शन को जाना होगा.
Binsar Mahadev Kaise Pahuche (How To Reach)
लगभग आस पास के हर गांव का एक अपना शॉर्टकट रास्ता है (Shortcut way to temple) जो ठीक मंदिर तक जाता है लकिन इन रास्तो से जाना हर किसी के बस की बात नहीं क्यों यह काफी दुर्गम रास्ते हैं जहा पर कई बार बाग़ भालू का भी डर होता है.
मंदिर तक पहुंचने के कई तरीके हैं; हालांकि, दो मार्ग सबसे अधिक use किये जाते है। (एनएच 121) से पीठसेन (2260 मीटर) तक एक अच्छा रास्ता है । पीठसेन से 11 किलोमीटर लम्बी लेकिन सौम्य ट्रेक है। दूसरा रास्ता जगत्पुरी-चाउंड-बिन्सर है, जो लगभग 6 किलोमीटर की एक तेज, ऊर्ध्वाधर ट्रेक है। जगतपुरी एक सड़क के किनारे का बाजार है.
एक बार binsar बाबा के दर्शन को जरूर जाएँ और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें यदि आपको कोई भी अतिरिक्त जानकारी चाहिए अथवा कोई सुझाव देना चाहते है तो तू नीचे दिए कमेंट बॉक्स दे सकते है धन्यवाद्......
"Great blog, it seems lots of effort and time was put into it. But its nicely written, reading this is effortless.
ReplyDeleteThanks"
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बहुत ही सुंदर और सही जानकारी साझा की है आपने
ReplyDeleteDhayawad apka. Uttarakhand se related videos dekhne ke liye aap youtube per mera channel bhi subscriber kar sakte hai: https://youtu.be/st72V3Jdkj4
DeleteChannel Name is #rawatslife
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